RSS geet | कहीं पर्वत झुके भीं हैं | Kahi parvat jhuke bhi hai lyrics

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कहीं पर्वत झुके भीं हैं | Kahi parvat jhuke bhi hai



कही पर्वत झुके भी हैं,

कही दरिया रुके भी हैं।
नहीं रुकती रवानी है,
नहीं झुकती जवानी है ।।

गुरु गोविंद के बच्चे,
उम्र में थे अगर कच्चे ।
मगर थे सिंह के बच्चे,
धर्म ईमान के सच्चे ।।

गरजकर बोल उठे थे यों,
सिंह मुख खोल उठे थे यों,
नहीं हम रुक नहीं सकते, 
नहीं हम झुक नहीं सकते, 

हमें निज देश प्यारा है,
हमें निज धर्म प्यारा है,
पिता दशमेश प्यारा है,
श्री गुरु ग्रंथ प्यारा है ।।

जोरावर जोर से बोला,
फतेहसिंह शोर से बोला,
रखो ईंटें, भरो गारा,
चुनो दीवार हत्यारो,

निकलती श्वांस बोलेगी,
हमारी लाश बोलेगी,
यही दीवार बोलेगी,
हज़ारों बार बोलेगी,

हमारे देश की जय हो,

पिता दशमेश की जय हो,
हमारे धर्म की जय हो,
श्रिगुरुग्रंथ की जय हो,

कही पर्वत झुके भी हैं,
कही दरिया रुके भी हैं।
नहीं रुकती रवानी है,
नहीं झुकती जवानी है ।।