मोहब्बत में रातों की नींद भी हराम थी।
वो बेवफ़ा क्या हुआ मेरा चैन भी ले गया।।
आँसू आते थे कभी-कभी उसकी याद में।
ऐसा गया कि जाते हुए नैन भी ले गया।।
सूखा रेगिस्तान हो गया है अब हर दिन मेरा।
चाँद चाँदनी के साथ अपनी रैन भी ले गया।।
वो बेवफ़ा क्या हुआ मेरा चैन भी ले गया।।
आँसू आते थे कभी-कभी उसकी याद में।
ऐसा गया कि जाते हुए नैन भी ले गया।।
सूखा रेगिस्तान हो गया है अब हर दिन मेरा।
चाँद चाँदनी के साथ अपनी रैन भी ले गया।।
Mohabbat main raaton ki neend bhi haram thi
Wo bewafa kya hua mera chain bhi ke gaya
Aanshu aate the kabhi- kabhi uski yaad main
Aisa gaya ki jate hue nain bhi le gaya
Sukha registaan ho gaya hai ab har din mera
Chand Chandni ke sath apni rain bhi le gaya