द नियोजित शिक्षक (पुस्तक समीक्षा) | by Sunil Kumar

द नियोजित शिक्षक (पुस्तक समीक्षा)

युवा लेखक अपनी रचनाओं में नवीनतम विषय को चुनते हैं। हाल-फिलहाल तत्सम्यक मनु का उपन्यास 'द नियोजित शिक्षक' पढ़ा। इस किताब के माध्यम से लेखक ने एकदम नए विषय को चुना है, जिसमें भारत के शिक्षकों की दास्तां हैं।


पुस्तक समीक्षा (द नियोजित शिक्षक):

प्रस्तुत किताब के अंदर ज्यों-ज्यों मैं प्रवेश करता गया। मुझे अनुभव होता गया अन्य सरकारी कार्यालयों में काम करनेवाले लोगों से ज्यादा तकलीफ शिक्षकों को होते हैं, उन्हें लॉकडाउन में कार्य करना पड़ता है, चुनाव के समय ड्यूटी में उनके बिना कार्य नहीं होते, मतगणना से लेकर पशुगणना तक में उनसे कार्य लिए जाते हैं।

किताब में कई जगह की बातें प्रेरित करती हैं, तो वहीँ कथापात्रों द्वारा लिखे पत्र समाज और प्रेम को नई दृष्टिकोण देती हैं। आज के समय में इस तरह के उपन्यास कम पढ़ने को मिलते हैं, क्योंकि एक ही उपन्यास में मुझे समाज की हरेक सच्चाई को पढ़ने का अनुभव हो गया।

अगर प्रस्तुत किताब को कालजयी कहूँ, तो अतिशयोक्ति न होगी, क्योंकि यह उपन्यास कालजयी उपन्यास के मापदंडों पर खड़ा उतरता है।

#सुनील कुमार, मणिपुर।

ParnassiansCafe परिवार सुनील कुमार जी का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता जिन्होंने अपना कीमती समय इस उपन्यास को पढने में व उसकी समीक्षा जनता में व्यक्त करने में दिया|

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