ज्ञान का महत्त्व | Importance of knowledge
मानव जीवन के लिए ज्ञान का महत्त्व बहत अधिक है। मानव जीवन के लिए ज्ञान उसकी रीढ़ की हड्डी का तरह कार्य करता है। इसलिये ज्ञान का महत्त्व बहुत बढ़ गया है।
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ज्ञान की प्रकृति
ज्ञान से सम्बंधित कुछ मुख्य बिंदु:
- ज्ञान का मनुष्य की तीसरी आँख कहा गया है।
- ज्ञान ही गुण है। ज्ञान मनुष्य को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।
- ज्ञान मानव जीवन सार है, विश्व का नेत्र है, ज्ञान से बढ़कर कोई सुख नहीं है।
- ज्ञान का प्रकाश सूर्य के समान है, ज्ञानी मनुष्य ही अपना और दूसरों का कल्याण करने में सक्षम हाता है।
- ज्ञान विश्व के रहस्यों को खोजता है।
- ज्ञान से चरित्र निर्माण व बोध होता है।
- ज्ञान धन की तरह है, जितना एक मनुष्य को प्राप्त होता है, वह उतना ही ज्यादा पाने की इच्छा रखता है।
- ज्ञान सत्य तक पहुँचने का साधन है।
- धर्म की भाँति ज्ञान को भी जानने के लिए अनुभव करने चाहिएँ।
- ज्ञान , प्रेम तथा मानव स्वतन्त्रता के सिद्धान्तों का ही आधार है।
- एक बार प्राप्त किया गया ज्ञान सतत् प्रयोग किया जाने वाला बन जाता है।
- तथ्य मूल्य ज्ञान के आधार के रूप में कार्य करता है।
- ज्ञान क्रमबद्ध चलता है, आकस्मिक नहीं आ जाता।
- ज्ञान शक्ति है।
- ज्ञान की सीमाएँ निश्चित नहीं हैं।
- ज्ञान समय का परिणाम है।
- ज्ञान चेतना है जिससे मनुष्य का मनोबल व आत्मविश्वास बढ़ता है।
- ज्ञान से ही अच्छे - बुरे, कर्म - अकर्म, सुन्दर - असुन्दर, सन्मार्ग - कुमार्ग, सुमति - कुमति, सत्य - असत्य, ज्ञानी - अज्ञानी, पुण्य - पाप, लाभ - हानि, सुख - दुख, धर्म - अधर्म, मित्र - दुश्मन, अपकार - उपकार, धीर - अधीर, प्रशंसा - निन्दा, सफलता - असफलता, यश - अपयश, मान - अपमान, विजय - पराजय का ज्ञान होता है।
- ज्ञान को मस्तिष्क की खुराक कहा जाता है।
- ज्ञान भौतिक जगत और आध्यामिक जगत को समझने में मदद करता है।
- ज्ञान समाज सुधारने में जैसे: रूढ़िवादिता और अन्ध - विश्वास को दूर करने में सहायता करता है।
- ज्ञान से ही मानसिक, बौद्धिक, स्मृति, निरीक्षण, कल्पना व तर्क आदि शक्तियों का विकास होता है।
- ज्ञान शिक्षा प्राप्ति हेतु साधन का काम करता है।
- नैतिकता ज्ञान से ही प्राप्त की जा सकती है ।
- विश्व के महान् दार्शनिक का मत है कि “ज्ञान अपने आप को जानने का सशक्त साधन है, ज्ञान सदगुण है व अज्ञान पाप है।"