प्रिय पाठकों आज हम जिस विषय के बारे में चर्चा करेंगे आप सभी उस विषय से पूर्व से ही भली भांति परिचित होंगे क्योंकि हम कभी ना कभी किसी ना किसी को अपनी बातों को जरूर बताते हैं या समझाते हैं और कही बाहर हम अपनी बातें दूसरे को समझाने के लिए ऐसे नए तरीकों और तकनीकों का प्रयोग करते हैं ताकि हमारे विचार हमारी बातें सामने वाले को समझ में आ जाए। जब हम अपनी बातें किसी समूह के समक्ष मौखिक रूप में रखते हैं तो इसे आमतौर पर भाषण की संज्ञा दी जाती है।
दो आज हम जिस विषय पर चर्चा करेंगे उसका नाम है भाषण। भाषण का शाब्दिक अर्थ, कथन अथवा अभिभाषण अथवा व्याख्यान होता है जिसमें एक व्यक्ति बोलकर अपनी बातों को दूसरे व्यक्ति अथवा समूह के सामने प्रस्तुत करता है।
भाषण का अर्थ:
भाषण का शाब्दिक अर्थ होता है व्याख्यान/ अभिभाषण /कथन /बोली हुई बात। भाषण को अंग्रेजी में स्पीच कहते हैं जिसका अर्थ होता है अपनी बात को व्यक्त करना।
भाषण की परिभाषा:
"एक व्यक्ति द्वारा अपने विचारों एवं भावनाओं को दूसरे व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह तक पहुंचाने की कला भाषण कहलाती है।"
"धाराप्रवाह रूप में अपने विचारों की अभिव्यक्ति ही भाषण है।"
"एक समूह के समक्ष अपने विचारों की मौखिक रूप में अभिव्यक्ति एक अच्छे भाषण की पहचान है।"
"एक व्यक्ति द्वारा अपने विचारों के अभिव्यक्ति में संस्कृति, भाषा का उतार-चढ़ाव, वाक शक्ति का प्रदर्शन भाषण कहलाता है।"
भाषण के प्रकार:
क्योंकि भाषण भाषा का ही एक प्रकार है इसलिए हम भाषण को मुख्यतः दो भागों में विभक्त कर सकते हैं
- मौखिक भाषण
- लिखित भाषण
मौखिक भाषण
समाज द्वारा स्वीकृत ध्वनि संकेतों में अपने भावाभिव्यक्ति एवं विचारों का विनिमय मौखिक भाषण कहलाता है।
लिखित भाषण
मौखिक भाषण देने से पूर्व भाषण को स्थाई रूप में रखना आवश्यक है जिसके लिए लिखित रूप आवश्यक होता है ताकि भाषण का स्थायित्व बढ़ जाए। उदाहरण के लिए हम इसका अधिक उपयोग राजनीति में देखते हैं अक्सर राजनेताओं को पूर्व लिखित भाषण दिया जाता है और उसको पढ़कर राजनेता जनता के समक्ष अभिव्यक्त करते हैं।
भाषण के लाभ:
- झिझक दूर करना : भाषण बच्चों में उनकी झिझक को दूर करता है और उन्हें इसका बिल बनाता है कि वहां किसी भी स्टेज पर अपने विचारों को स्पष्ट तरीकों से अभिव्यक्त कर सकें।
- भाषा के उच्चारण में शुद्धता लाना : भाषण द्वारा बच्चों में भाषा के उच्चारण में शुद्धता आती है और साथ ही साथ स्पष्टता भी क्योंकि बच्चे भाषण को अच्छे से तैयार करते है ताकि कोई गलती ना हो।
- भाव स्पष्टीकरण की क्षमता को बढ़ाना: भाषण द्वारा बच्चों में उनके विचार एवं भावों में स्पष्टीकरण बढ़ती है इससे उनकी क्षमता भी बढ़ती है।
- व्यवहारिक कुशलता को बढ़ाना: भाषण को तैयार करने में बच्चे अपना पूर्ण समय देते हैं और भाषण में प्रयुक्त होने वाले ज्ञान को आत्मसात करते हैं इसके कारण उनकी व्यवहारिक कुशलता बढ़ती है।
- वाक शक्ति को बढ़ाना: भाषण देने से बोलने की क्षमता बढ़ती है यदि हम बच्चों को बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं तो इसके कारण उनकी वाक शक्ति बढ़ती है साथ ही साथ बोलने की क्षमता भी।
भाषण की विशेषताएं एवं गुण:
जिस प्रकार एक अच्छे व्यक्ति में विभिन्न गुणों का होना आवश्यक है इसी प्रकार उसके भाषण में भी निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है ताकि वह अपने भाषण से दूसरों को प्रभावित कर सके और उनमें जोश प्रवाहित कर सके।
- भाषा का संपूर्ण ज्ञान: इसके अंतर्गत बालक को भाषा की ध्वनियों का ज्ञान होना आवश्यक है और भाषा में प्रयुक्त होने वाले सामान दुनिया में विभेद करना आना चाहिए ताकि वह दूसरों को प्रभावित कर सके।
- भाषण की भाषा के उच्चारण में शुद्धता का होना: यदि भाषण की भाषा का उच्चारण शुद्ध होगा तो भाषण सुनने में बहुत ही आकर्षक और अच्छा लगता है जिसके कारण सुनने वाला श्रोता बड़े ध्यान पूर्वक भाषण को सुनता है।
- भाषण की भाषा में उपयुक्त उतार चढ़ाव को समझना और उसको आत्मसात करना। इससे भाषण और भी आकर्षक लगता है।
- भाषण में विराम पर बल देना: भाषण की रोचकता को बढ़ाने के लिए भाषण में प्रयुक्त होने वाले वाक्यों में उपयुक्त विराम पर बल दिया जाना चाहिए। ताकि भाषण इमला जैसा ना लगे बल्कि उसकी रोचकता पर चार चांद लग जाए।
- भाषण की गति पर नियंत्रण: उपरोक्त कथन में विराम पर बल दिया गया है यह भाषण की गति से संबंध रखता है क्योंकि यदि भाषण की गति पर नियंत्रण ना हो तो यह है इसकी रोचकता कम हो जाती है इसलिए भाषण को ना तो अधिक तेजी के साथ बोलना चाहिए और ना ही अधिक मंद गति के साथ।
- भाषा की मधुरता: भाषण देते समय भाषा की मधुरता को भी ध्यान में रखना आवश्यक होता है अच्छे शब्दों का चयन हमारे भाषण को अधिक अच्छा और प्रभावशाली बनाते हैं।
- भाषण की मुद्रा: भाषण देते समय बच्चों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनके हाथ जेब में ना हो और वह किसी विशेष जगह पर देखकर भाषण ना दें बल्कि उनको सामने बैठे सभी लोगों पर अपना ध्यान बनाए रखना चाहिए ताकि श्रोताओं से तालमेल बना रहे। अनावश्यक हरकतों को नहीं करना चाहिए जैसे माइक को पकड़े रहना डाइस पर हाथ रखे रहना बल्कि हमें भाषण देते समय अपना संपूर्ण ध्यान श्रोताओं पर रखना चाहिए और समय-समय पर प्रयुक्त शब्दों के अनुसार अपनी शारीरिक भाषा को भी प्रदर्शित करना चाहिए।