आपदा किसे कहते हैं? आपदा के प्रकार

आपदा किसे कहते हैं? आपदा के प्रकार

प्रिय पाठकों हम और आप प्रतिदिन किसी न किसी समस्या से लड़ते हैं और उससे लड़कर जीत भी जाते हैं। किंतु कुछ समस्या केवल समस्या मात्र ही नहीं होती, वह एक संकट के रूप में हमारे ऊपर हावी हो जाती हैं जिसके कारण हमें शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ सकती है। यह मानव जनित करणों से भी हो सकता है और प्राकृतिक कारणों से भी हो सकता है। हम दिन प्रतिदिन समाचारों में देखते हैं कि भूकंप आने से इतने लोगों मौत अथवा इतने लोग घायल हुए। तो भूकंप को एक प्राकृतिक आपदा कहा जाता है जिसका मनुष्य केवल अनुमान लगा सकता है इसी प्रकार भूस्खलन,बाढ़, बादल फटना, बांधों का फटना इत्यादि इन सब को आपदा कहा जाता है। इन सभी घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए हम कह सकते हैं कि आपदा एक ऐसी विपत्ति अथवा संकट है जिससे कि एक बहुत बड़े जन समूह को जान माल की हानि हो।


आपदा का अर्थ :

आपदा को अंग्रेजी में डिजास्टर कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है मुसीबत, विपत्ति, विघ्न, या ऐसा संकट जिसमें किसी जनसमूह को जान माल की हानि हो जिससे उभर पाना कठिन हो।

आपदा क्या है?

प्राकृतिक अथवा मानव जनित कारणों से होने वाली घटना या दुर्घटना जिससे कि प्राकृतिक संपदा एवं मनुष्य को भी जान माल की हानि होती है और इन दुर्घटनाओं के परिणाम स्वरूप इनसे उभर पाना एवं मनुष्य जीवन का पुनर्वास करना एक कठिन कार्य हो जाता है आपदा कहलाती है।

आपदा के प्रकार

आपदा मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं:
  1. प्राकृतिक आपदा
  2. मानव जनित आपदा

1. प्राकृतिक आपदा :- 

वे आपदाएं जो प्रकृति में होने वाले अनियंत्रित बदलाव के कारण उत्पन्न होती हैं तथा जिन पर मनुष्य का कोई नियंत्रण नहीं होता है। जैसे - भूकंप, बाढ़, सूखा, भूस्खलन, हिमस्खलन ज्वालामुखी का फटना, बादल का फटना, चक्रवात, तूफान इत्यादि। यह सभी घटनाएं प्रकृति में होने वाले अनियंत्रित बदलाव के कारण होती हैं जिनको मनुष्य और रोक तो नहीं सकता किंतु इनसे बचने के उपाय कर सकता है और इनके प्रभाव से होने वाली हानि को थोड़ा कम कर सकता है।

आपदा प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं को पांच भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • भौगोलिक आधार पर
  • जलीय आधार पर
  • जलवायु आधार पर
  • मौसमी आधार पर
  • जैविक आधार पर

भौगोलिक आधार पर :-

इसके अंतर्गत ऐसी घटनाएं आती है जो पृथ्वी के अंदर होने वाली भूगर्भीय प्रक्रियाओं के द्वारा उत्पन्न होती है जैसे - भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी इत्यादि।

जलीय आधार पर :- 

इसके अंतर्गत ऐसी घटनाएं आती है जिसमें जल चक्र अनियंत्रित होकर असामान्य प्रभाव दिखाता है। जैसे बाढ, भूस्खलन इत्यादि।

जलवायु आधार पर :- 

इसके अंतर्गत जलवायु में असामान्य परिवर्तनों के कारण अत्यधिक सूखा पड़ना, जंगलों में आग लगना, अत्याधिक गर्मी या अधिक सर्दी होना तथा ग्लेशियरों का पिघलना इत्यादि जैसी घटनाएं शामिल है।

मौसमी आधार पर :- 

जब मौसम में असामान्य परिवर्तन होते हैं तो इसके कारण टोरनैडो, साइक्लोन, तेज वर्षा जैसी घटनाएं घटित होती हैं।

जैविक आधार पर :- 

इसके अंतर्गत जीवाणु, विषाणु, फंगस इत्यादि से होने वाली बीमारियां शामिल होती है। उदाहरण के लिए कोविड-19, ब्लैक फंगस इत्यादि बीमारियां यह सब जैविक आपदाओं का उदाहरण है।

2 मानव जनित आपदा :-

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है मानव जनित आपदा अर्थात मानव द्वारा पैदा होने वाली आपदा। मनुष्य लगातार विकास कार्य तो कर ही रहा है किंतु अत्यधिक मात्रा में वह प्रकृति का दोहन भी कर रहा है जिसके कारण मौसम जलवायु में असामान्य परिवर्तन देखे जा रहे हैं जैसे कि अत्यधिक पेड़ों का कटान जिसके कारण कहीं सूखा पड़ रहा है तो कहीं बाढ़ का सामना करना पड़ता है। मनुष्य लगातार प्रकृति के साथ अत्यधिक छेड़छाड़ कर रहा है जिसके कारण मनुष्य जाति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। और मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ किए जा रहे खिलवाड़ से उत्पन्न होने वाले संकट मानव जनित आपदा कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो मानव द्वारा अत्यधिक प्रकृति के दोहन अथवा मानव द्वारा की गई लापरवाही उसे उत्पन्न होने वाले संकट अथवा विपत्तियों को मानव जनित आपदा कहते हैं। जैसे जंगलों में आग लगाना, पेड़ों का अत्यधिक कटान, रेल दुर्घटनाएं, औद्योगिक घटनाएं, परमाणु बम इत्यादि।

इन सभी आपदाओं को मध्य नजर रखते हुए इनसे निपटने के लिए आपदा प्रबंधन का निर्माण किया गया जिसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी क्षेत्र विशेष में होने वाली आपदा के कारण क्या क्या प्रभाव पड़ेगा। इन सब बातों का आकलन कर उस क्षेत्र के लिए उचित आपदा प्रबंधन सामग्रियों का प्रबंध किया जाता है ताकि उस क्षेत्र विशेष में होने वाली आपदाओं से निपटा जा सके और कम से कम जान माल की हानि हो।