महादेवी वर्मा का जीवन परिचय एवं रचनाएं
परिचय :
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था| इनके पिता का नाम बाबु गोविन्द प्रसाद था| जो कि भागलपुर के एक कॉलेज में प्राध्यापक थे और उनकी माता का नाम हेमरानी देवी था जो कि बड़ी ही धार्मिक, धर्म परायण एवं भावुक महिला थीं |कहा जाता है कि हेमरानी देवी विवाह के समय अपने साथ सिंहासनासीन भगवन की मूर्ति भी लायी थी| वे हमेशा पूजा पाठ में लीन रहती थीं और इनकी संगीत में भी रूचि थी| महादेवी वर्मा, सुमित्रनंदन पन्त एवं सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को अपना भाई मानती थीं इसलिए वे जीवन परियन्त उनको राखी बांधती थीं| इनके अपने दो भाई और एक बहिन थी|
महादेवी वर्मा की प्रारंभिक शिक्षा :
इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई थी| महादेवी वर्मा जब महज नौ वर्ष की थीं इनका विवाह डॉ स्वरुप नारायण वर्मा के साथ कर दिया गया तदोपरांत अध्ययन के लिए यह इलाहाबाद चली गयीं | वहां रहकर इन्होने CrosthWet girls college से बी० ए० की पढाई पूरी की इसके पश्चात प्रयाग विश्व विद्यालाय से सन 1933 संस्कृत से स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की| शिक्षा पूरी होने के पश्चात इनकी नियुक्ति महिला विद्यापीठ प्रयाग में प्रिंसिपल के पद पर हो गई|बचपन से ही महादेवी वर्मा बहुत प्रतिभावान लेखिका थीं और विद्यार्थी जीवन में ही इनकी रचनाएँ प्रसिद्ध पत्र पत्रीकाओं में प्रकाशित होने लगी थीं| महादेवी वर्मा की गणना 20 वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ कवियों जैसे : जयशंकर प्रशाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एवं सुमित्रा नंदन पन्त जी के साथ की जाने लगी|
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महादेवी वर्मा की कुछ उपलब्धियां :
इन्हें 1923 में महिलाओ की प्रसिद्ध पत्रिका चाँद की संपादिका के रूप में नियुक्त किया गया| इनके 1930 में निहार, 1932 में रश्मि ,1934 में नीरजा और 1936 में सांध्य गीत नामक 4 कविता संग्रह प्रकाशित हुए | इन्होने गध्य एवं काव्य शिक्षा एवं चित्र कला जैसे क्षेत्रों में नए आयामों की स्थापना की| इनके 18 काव्य और कुछ गध्य किर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं जिनमे से ‘मेरा परिवार’, ‘पथ के साथी’, ‘स्मृति की रेखाएं’, ‘श्रंखला की कड़ियाँ’, ‘अतीत के चलचित्र’ प्रमुख हैं|महादेवी वर्मा जी ने 1955 में साहित्यकार संसद की स्थापना की और पंडित इला चन्द्र जोशी के सहयोग से साहित्यकार का संपादन भी संभाला| जो कि इस संस्था का मुखपत्र था|
महादेवी वर्मा जी ने महिलाओ और महिलाओ की शिक्षा के विकास के लिए भी कार्य किये इसलिए इन्हें समाज सुधारक भी कहा गया है| इनके लेखों में साफ़ झलकता है कि यह अपने लेखों से समाज में विकास एवं बदलाव की आकांक्षा रखती थीं| इन्होने अपने जीवन काल का अधिकांश समय उत्तर प्रदेश के इलाहावाद में ही गुज़ारा और 11 सितम्बर 1987 को इलाहाबाद में ही रात के समय उन्होंने अंतिम साँस ली|
प्रार्थनाओ का सही उच्चारण जानें:
- sarfaroshi ki tamanna ab hamare dil mein hai full poem
- हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें| humko man ki shakti dena man vijay karen | prayer
- वह शक्ति हमें दो दयानिधे | vah shakti humen do dayanide| prayer
- तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो | tumhi ho mata pita tumhi ho | Hindi prayer
- He sharde maa, he sharde maa prayer lyrics
- दया कर दान भक्ति का | Daya kar daan bhakti ka | प्रार्थना
- हर देश में तू, हर भेष में तू | Har desh men tu, Har vesh men tu prayer in Hindi | हिंदी विश्व प्रार्थना |
- ईश्वर तुझे हैं कहते | ishvar tujhe hai kahte
- मुझको नवल उत्थान दो माँ सरस्वती वरदान दो | mujhko naval utthan maa saraswati vardaan do| माँ सरस्वती की प्रार्थना |
- तू ही राम है तू रहीम है | tu hi ram hai tu rahim hai | सर्वधर्म प्रार्थना
महादेवी वर्मा की प्रमुख रचनाएँ:
कविता संग्रह:
- नीहार (1930)
- रश्मि (1932)
- नीरजा (1934)
- सांध्यगीत (1936)
- दीपशिखा (1942)
- सप्तपर्णा (अनूदित-1959)
- प्रथम आयाम (1974)
- अग्निरेखा (1990)
गीत संग्रह:
- आत्मिका
- परिक्रमा
- सन्धिनी (1965)
- यामा (1936)
- गीतपर्व
- दीपगीत
- स्मारिका
- नीलांबरा
- आधुनिक कवि महादेवी, आदि।
महादेवी वर्मा का गद्य साहित्य रेखाचित्र:
- अतीत के चलचित्र (1941)
- स्मृति की रेखाएं (1943)
- संस्मरण: पथ के साथी (1956)
- मेरा परिवार (1972)
- संस्मरण (1983)
चुने हुए भाषणों का संकलन:
- संभाषण (1974)
- निबंध: शृंखला की कड़ियाँ (1942)
- विवेचनात्मक गद्य (1942)
- साहित्यकार की आस्था
- अन्य निबंध (1962)
- संकल्पिता (1969)
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महादेवी वर्मा के पुरुष्कार और सम्मान:
उन्हें प्रशासनिक, अर्धप्रशासनिक और व्यक्तिगत सभी संस्थाओँ से पुरस्कार व सम्मान मिले।- 1943 में उन्हें ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’ एवं ‘भारत भारती’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1952 में इनको उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के सदस्य के रूप में मनोनीत की गयीं।
- भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के योगदान के लिये सन 1956 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया|
- महादेवी वर्मा पहली महिला थीं जिन्होंने 1971में साहित्य अकादमी की सदस्यता ग्रहण की थी|
- मरणोपरांत महादेवी वर्मा को सन 1988 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया|
सन 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय, 1977 में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल, 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय, 1984 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने उन्हें डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया।
इससे पूर्व महादेवी वर्मा को ‘नीरजा’ के लिये 1934 में ‘सक्सेरिया पुरस्कार’, 1942 में ‘स्मृति की रेखाएँ’ के लिये ‘द्विवेदी पदक’ प्राप्त हुए। ‘यामा’ नामक काव्य संकलन के लिये उन्हें भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्राप्त हुआ।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां
- वे भारत की 50 सबसे यशस्वी महिलाओं में भी शामिल हैं।
- 1968 में सुप्रसिद्ध भारतीय फ़िल्मकार मृणाल सेन ने उनके संस्मरण ‘वह चीनी भाई’पर एक बांग्ला फ़िल्म का निर्माण किया था जिसका नाम था नील आकाशेर नीचे।
- 16 सितंबर 1991 को भारत सरकार के डाकतार विभाग ने जयशंकर प्रसाद के साथ उनके सम्मान में 2 रुपये का एक युगल टिकट भी जारी किया है।
References : Wikipedia
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