मातृभाषा किसे कहते हैं? मातृभाषा का महत्व
मातृभाषा का अर्थ :
मातृभाषा का सामान्य अर्थ: मातृभाषा का शाब्दिक अर्थ मां की भाषा होता है अर्थात वह भाषा जो बच्चे की माता की भाषा होती है वह उस बच्चे की मातृभाषा कहलाती है।
जिस भाषा को बच्चा अपने माता-पिता से भाई- बहन एवं सगे संबंधियों का अनुसरण करके सीखता है वह बच्चे की मातृभाषा होती है।
यदि किसी बच्चे को शैशवावस्था से ही किसी ऐसे परिवेश में ले जाया जाए जहां की भाषा उस बच्चे के अपने माता-पिता की भाषा से भिन्न हो तो उस बच्चे की मातृभाषा उस भाषा को माना जाएगा जिसमें उस बच्चे का पालन पोषण हो रहा है अर्थात मातृभाषा वह है जिस भाषा में बच्चे का पालन-पोषण होता है, इसे बच्चे की प्रथम भाषा भी कहते हैं। मातृभाषा अथवा प्रथम भाषा, व्यक्ति के किसी एक पक्ष का नहीं बल्कि उस व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करती है।
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मातृभाषा किसी व्यक्ति को उसकी संस्कृति एवं परंपराओं से भावनात्मक रूप से जोड़ने का कार्य करती है। मातृभाषा के कारण ही उस व्यक्ति का मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है।
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• शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा का अर्थ :
शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा का अर्थ व्यापक होता है। शिक्षा प्राप्त करने की वह भाषा जिससे एक व्यक्ति अपने शैक्षिक विचारों को मौखिक एवं लिखित रूप में अभिव्यक्त कर सकता है वह उस व्यक्ति की मातृभाषा कहलाती है। यह मातृभाषा व्यक्ति को सामाजिक रूप में ढालने हेतु अहम भूमिका प्रदान करती है।मातृभाषा किसी व्यक्ति को उसकी संस्कृति एवं परंपराओं से भावनात्मक रूप से जोड़ने का कार्य करती है। मातृभाषा के कारण ही उस व्यक्ति का मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है।
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मातृभाषा का महत्व :
शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा; हिंदी का क्या महत्व है?
शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा; हिंदी के महत्व को निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट किया जा सकता है।
1. शारीरिक विकास हेतु मातृभाषा का महत्व :
हम सभी जानते हैं कि शरीर के विकास हेतु भोजन एक आवश्यक सामग्री किंतु इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि उस भोजन को प्राप्त करने के लिए मातृभाषा एक सहायक के रूप में कार्य करती है।
2. बौद्धिक एवं मानसिक विकास हेतु मातृभाषा का महत्व :
व्यक्ति के विचार एक ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा मनुष्य किसी अन्य मनुष्य के साथ तर्क कर सकता है अथवा उसको अपने तर्कों द्वारा संतुष्ट भी कर सकता है और यह विचार मनुष्य अपनी मातृभाषा भाषा में ही प्राप्त करता है इसलिए विचार एवं मातृभाषा का एक गहरा संबंध है। मनुष्य के मस्तिष्क में जो विचार आते हैं वह उसकी मातृभाषा में आते हैं अथवा हम कह सकते हैं कि कुछ विचारों के कारण ही अपने स्वरूप में आई है। मातृभाषा ही किसी व्यक्ति को अपनी संस्कृति /परंपरा एवं समस्त ज्ञान को समझने की शक्ति प्रदान करती है और इस ज्ञान से ही मनुष्य का बौद्धिक एवं मानसिक विकास होता है।
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