अनुनासिका शब्द किसे कहते हैं? | ParnassiansCafe

अनुनासिका शब्द किसे कहते हैं?

anunasik shabd kise kehte hai


ऐसे शब्द जिनका उच्चारण करते समय ध्वनि, मुख एवं नासिका दोनों से निकलती है अनुनासिक शब्द कहलाते हैं। ऐसे शब्दों को हम शब्दों के शिरोंरेखा पर अनुनासिका चिह्न;चंद्रबिंदु ( ॅं ) द्वारा आसानी से पहचान सकते हैं। किंतु जरूरी नहीं की अनुनासिक शब्दों में चन्द्रबिन्दु हो, कुछ शब्द जिनमें इ,ई,उ,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ की मात्रा के ऊपर चन्द्रबिन्दु का प्रयोग न करके केवल बिंदु का प्रयोग किया जाता है। तब भी वह अनुनासिक शब्द ही होता है तब इनको उच्चारण (नासिका + मुख ) के आधार पर ही पहचाना जाता है। जबकि कुछ शब्द देखने में अनुस्वार दिखाई देते हैं किंतु उच्चारण के आधार पर वह अनुनासिक शब्द होते हैं।

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अनुनासिक शब्दों की पहचान :

1. चन्द्रबिन्दु के आधार पर :

इन शब्दों को बड़ी आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि उनके ऊपर चंद्रबिंदु लगा होता है।।
जैसे -: चाँद, गाँधी, आँधी, आँख, आँच, साँच, यहाँ, कहाँ, जहाँ, बोलियाँ, गोलियाँ, गाँठ, माँग, साँग साँझ इत्यादि।

2. बिंदु (बिंदी) के आधार पर :

कुछ शब्दों में बिंदु जोकि अनुस्वार की भांति लगता है किंतु वह अनुनासिक होता है। क्योंकि उन शब्दों का उच्चारण नाक एवं मुख दोनों के द्वारा होता है इसलिए वह अनुनासिक शब्द होते हैं।
जैसे -: मैं,में, उन्हें, किन्हें, हमें, यहीं, कहीं, नहीं, हैं, मेंढ़क, चौंक, चोंच, दोनों, दोनों इत्यादि।

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[ नोट : अनुस्वार, अनुनासिका के बिंदु वाले शब्दों में मुख्य अंतर उच्चारण के आधार पर ही किया जा सकता है इसलिए इसको अच्छे से समझने के लिए इनके शब्दों का उच्चारण करने का अभ्यास जरूरी होता है। ]

उदाहरण के लिए:

अनुस्वार शब्द : हंस (पक्षी) (तीक्ष्ण ध्वनि)
अनुनासिक शब्द : हँस (किसी को हंसने के लिए कहना) (सामान्य ध्वनि) 
यहां आप देख सकते हैं कि एक ही शब्द पर अनुस्वार (बिंदी) अथवा अनुनासिक (चन्द्रबिन्दु ) लगाने से शब्द का अर्थ परिवर्तित हो जाता है।

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