अर्थालंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
अर्थालंकार : किसी काव्य में अर्थ के माध्यम से काव्य की शोभा बढ़ाने वाले अलंकार को अर्थालंकार कहते हैं।
• अलंकार किसे कहते हैं? जानने के लिए क्लिक करें
• शब्दालंकार किसे कहते हैं? जानने के लिए क्लिक करें
अर्थालंकार के प्रकार :
अर्थालंकार के चार प्रकार के होते हैं।
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- विनोक्ति अलंकार
1. उपमा अलंकार :
जब काव्य में उपमेय को उपमान के समान बताया जाता है उपमा अलंकार कहलाता है। इसमें वाचक शब्द सरिस, सी, सम, समान आदि शब्द आते हैं।
यहां पर हमें उपमेय तथा उपमान शब्द को जाना होगा
उपमेय: जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाती है वह उपमेय कहलाता है
उपमान : जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जाती है वह उपमान कहलाता है।
उदाहरण :
सीता जी का मुख चंद्रमा के समान है।
यहां पर मुख की तुलना हो रही है तो मुख उपमेय है।
और मुख (उपमेय) की तुलना चंद्रमा से की जा रही है तो चंद्रमा उपमान है।
वाचक शब्द : उपमेय और उपमान की तुलना जिस शब्द के द्वारा की जाती है वह शब्द वाचक शब्द कहलाता है।
साधारण धर्म: उपमेय से उपमान की तुलना जिस उद्देश्य से की जाती है वह साधारण धर्म कहलाता है।
उदाहारण:
पीपर पात सरिस मन डोला।
पीपर पात - उपमेय
मन - उपमान
सरिस - वाचक शब्द
डोला - साधारण धर्म
• महाकवि कालिदास को उपमा अलंकार का सम्राट कहा जाता है।
• अलंकार किसे कहते हैं? जानने के लिए क्लिक करें
• शब्दालंकार किसे कहते हैं? जानने के लिए क्लिक करें
2. रूपक अलंकार :
जब किसी काव्य पंक्ति या पंक्तियों में उपमेय तथा उपमान में कोई अंतर ना हो और प्रायः वाचक शब्द नहीं होता है। तो यह रूपक अलंकार कहलाता है।
नोट: तुलसीदास जी को रूपक अलंकार का सम्राट कहा जाता है।
चरण कमल बंदों हरि राइ।
(यहां चरण को ही कमल कहा गया है)
3. उत्प्रेक्षा अलंकार :
जब किसी काव्य में उपमेय में उपमान की संभावना बताई जाती है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।इसमें वाचक शब्द जनु, मनु, जानो, मानो, जानहु, मानहु का प्रयोग होता है।
4. विनोक्ति अलंकार :
जब किसी कार्य में बिना शब्द के द्वारा किसी वस्तु की व्यवस्था को व्यक्त किया जाता है वहां पर विनोक्ति अलंकार होता है।
[ कुछ अन्य विशेष अलंकार ]
1. मानवीयकरण अलंकार :
किसी काव्य का ऐसा वर्णन जिसमें निर्जीव एक सजीव की तरह कार्य करें अथवा निर्जीव को सजीव मान लिया जाए तो वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
उदाहरण :
जब जब बाहे उठी मेघ की।
धरती का तन मन ललका है।।
जब जब मैं गुजरा पनघट से
पनिहारिन का घट छलका है।।
2. विरोधाभास अलंकार:
जब किसी काव्य में दो विरोधी शब्द एक ही जगह होते हैं तो वहां विरोधाभास अलंकार होता है।
3. विभावना अलंकार:
जब काव्य वर्णन में बिना किसी उपयोगी वस्तु के कार्य हो जाए तो वहां विभावना अलंकार होता है।
उदाहरण :
बिनु पग चले, सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम, करै विधि नाना।।
[ अर्थ - यहां पर बिना पैर के चलना और बिना कान के सुनना। और बिना हाथ के सारे काम करना बताया है।
चलने के लिए आवश्यक है कि पैर हो किंतु फिर भी काम हो रहा है। ]
• शब्दालंकार किसे कहते हैं? जानने के लिए क्लिक करें
0 Comments