अनुस्वार और अनुनासिका किसे कहते हैं?
अनुस्वार और अनुनासिका के बारे में जानने से पहले हमें यह जानना होगा कि स्पर्श व्यंजन जोकि उच्चारण के अनुसार विभिन्न अंगों की सहायता से उच्चारित होते हैं।
स्पर्श व्यंजन 5 वर्गों में विभक्त है।
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क वर्ग ( कंठ्या ): क ख ग घ ङ
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च वर्ग ( तालव्य ): च छ ज झ ञ
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ट वर्ग ( मूर्धन्य ): ट ठ ड ढ ण
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त वर्ग (दंत्य ): त थ द ध न
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प वर्ग ( ओष्ठीय ): प फ ब भ म
उपरोक्त दिए गए वर्गो में प्रत्येक वर्ग में
पाँच वां वर्ण
(ड़,ञ,ण,न,म) होते हैं इन्हें
>नासिक्य वर्ण भी कहते हैं।जिसमें से प्रत्येक वर्ग का पांचवा वर्ण नाक
की सहायता से बोला जाता है।
जिस प्रकार प्रत्येक स्वतंत्र वर्ण
व्यंजन का उच्चारण करने में 'अ ' स्वर की ध्वनि छिपी होती है तथा इसको लिखित
रूप में इस प्रकार लिखा जाता है। जैसे:
- क (व्यंजन) = क् + अ
- च= च् + अ
- ट= ट् + अ
- त= त् + अ
- प= प् + अ
इसी प्रकार प्रत्येक वर्ग के पांचवें वर्णों (ङ्, ञ् ,ण्, न्, म्) के ये अर्ध रूपों को अनुस्वार कहा जाता है तथा इसे ( ं ) चिह्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं।
अनुस्वार की परिभाषा:
यदि किसी शब्द के बीच ये अर्ध वर्ण जैसे - ङ्, ञ् ,ण्, न्, म् आते हैं तो इनके स्थान पर एक चिह्न ( ं ) का प्रयोग किया जाता है जिसे अनुस्वार कहते हैं। सर्वप्रथम अनुस्वार लगाने का सुझाव डॉ श्याम सुंदर दास जी ने दिया था।
अनुस्वार प्रयोग के नियम:
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क वर्ग के लिए: यदि किसी शब्द में क, ख, ग, घ से पहले ड़् वर्ण आता है तो वहां अनुस्वार का प्रयोग किया जाएगा।
जैसे: अङ्क = अंक -
च वर्ग के लिए: यदि किसी शब्द में च, छ, ज, झ से पहले ञ् वर्ण आता है तो वहां अनुस्वार चिह्न ( ं ) का प्रयोग किया जाएगा।
जैसे: चञ्चल = चंचल
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ट वर्ग के लिए: यदि किसी शब्द में ट, ठ, ड, ढ, से पहले ड़् वर्ण आता है तो वहां अनुस्वार चिह्न ( ं ) का प्रयोग किया जाएगा।
जैसे: कण्टर = कंटर -
त वर्ग के लिए: यदि किसी शब्द में त, थ, द, ध से पहले न् वर्ण आता है तो वहां अनुस्वार चिह्न ( ं ) का प्रयोग किया जाएगा।
जैसे: दन्त = दंत -
प वर्ग के लिए: यदि किसी शब्द में प, फ, ब, भ से पहले म् वर्ण आता है तो वहां अनुस्वार चिह्न ( ं ) का प्रयोग किया जाएगा।
जैसे: पम्प = पंप
अनुनासिक किसे कहते हैं?
अनुनासिक एक चिन्ह को कहते हैं जिसे चंद्रबिंदु ( ॅं ) भी कहा जाता है। अनुनासिक, स्वर को नासिका से उच्चरित करने को प्रदर्शित करता है। तथा उच्चारण नासिका एवं मुख दोनों से होता है। अनुनासिका कोई वर्ण नहीं होता है इसलिए इसको वर्ण में विभक्त नहीं किया जा सकता। जबकि अनुस्वार को वर्णों में विभक्त किया जा सकता है जैसे -: शंकर = शङ्कर ; यही इन दोनों के मध्य अंतर भी है।
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