समावेशी शिक्षक के गुण निम्न प्रकार हैं:
- बच्चों को समझने की योग्यता (Ability to understand children):
समावेशी शिक्षक बच्चों की भिन्न-भिन्न ज़रूरतों और सीखने के तरीकों को समझने में सक्षम होते हैं। उदाहरण के लिए, एक कक्षा में कोई बच्चा जल्दी सीखता है तो कोई धीरे-धीरे। शिक्षक दोनों के लिए उपयुक्त तरीके अपनाकर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। - शिक्षा और शिक्षण की योग्यता (Education and Teaching Qualities):
एक अच्छा शिक्षक खुद भी निरंतर सीखने के लिए तैयार रहता है। उसे न केवल अपने विषय में निपुण होना चाहिए बल्कि उसे पढ़ाने की विधियों का भी ज्ञान होना चाहिए। जैसे, गणित के शिक्षक को केवल सवाल हल करना नहीं आना चाहिए, बल्कि उसे बच्चों को कैसे समझाया जाए, इसका भी तरीका आना चाहिए। - समायोजन की क्षमता(ability to adjust with Children):
हर बच्चा अलग होता है। किसी बच्चे को सुनने में दिक्कत हो सकती है, किसी को चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में समावेशी शिक्षक वह होता है जो इन भिन्नताओं के बावजूद सभी बच्चों को समान अवसर देने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए, अगर एक बच्चा लिख नहीं सकता, तो शिक्षक उसे बोलकर उत्तर देने का मौका देता है। - सहयोग और सद्भावना (Cooperation and goodwill):
शिक्षक को हमेशा सहयोग और सद्भावना से काम करना चाहिए। अगर किसी बच्चे को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है, तो शिक्षक को धैर्य रखना चाहिए और उसे समझने में मदद करनी चाहिए। - निष्पक्षता(Impartiality)
शिक्षक को सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, या क्षमता कैसी भी हो। उदाहरण के लिए, यदि एक बच्चा कमजोर है, तो शिक्षक को उसके प्रति विशेष ध्यान देकर उसे भी अन्य बच्चों के समान अवसर देना चाहिए। - नेतृत्व क्षमता (Leadership ability)
शिक्षक का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि वह अपने व्यवहार और कार्यों से बच्चों के लिए एक आदर्श बन सके। उदाहरण के तौर पर, यदि शिक्षक स्वयं समय का पाबंद होता है और ईमानदारी से काम करता है, तो बच्चे भी उससे यह गुण सीखेंगे।
व्यक्तिगत गुण (Individual qualities):
- विषय में रुचि (Interest in the subject):
शिक्षक को अपने विषय में रुचि होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर विज्ञान का शिक्षक खुद विज्ञान के प्रति उत्सुक नहीं है, तो वह बच्चों को उस विषय में रुचि पैदा नहीं करा सकता। उसे नए शोध, प्रगति और विषय के बदलते पहलुओं को जानने की इच्छा होनी चाहिए। - व्यक्तित्व (Personality):
अध्यापक का व्यक्तित्व भी उसकी शिक्षण प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि शिक्षक का व्यवहार विनम्र, धैर्यशील और प्रेरणादायक है, तो बच्चे भी उसे आदर देंगे और उसकी बातें ध्यान से सुनेंगे। जैसे, एक हंसमुख और मददगार शिक्षक की उपस्थिति कक्षा का माहौल सकारात्मक बनाती है।
व्यावसायिक गुण (Professional qualities):
- विषय-वस्तु का ज्ञान (Knowledge of the subject):
एक शिक्षक को अपने विषय का गहरा ज्ञान होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि गणित का शिक्षक खुद ही किसी सवाल का हल सही तरीके से नहीं जानता, तो वह बच्चों को कैसे सिखा पाएगा? इसीलिए शिक्षक को अपने विषय में निपुण होना जरूरी है - विषय प्रस्तुत करने की विधि (Method of Presenting the subject):
शिक्षक को अपने विषय को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत करना आना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि इतिहास का शिक्षक केवल तथ्यों और तिथियों पर ध्यान केंद्रित करे, तो बच्चे बोर हो सकते हैं। लेकिन अगर वह कहानियों और चित्रों के माध्यम से पढ़ाए, तो बच्चे उसे दिलचस्पी से सुनेंगे।
समावेशी शिक्षक वह होता है जो सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार करता है और उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर देता है। वह अपनी योग्यता, धैर्य, सहयोग, और नेतृत्व के गुणों के माध्यम से बच्चों के सम्पूर्ण विकास में मदद करता है।