Ise kaise bhool jau | इसे कैसे भूल जाऊँ | Sad Shayari

Ise kaise bhool jau | इसे कैसे भूल जाऊँ | Sad Shayari


Ise kaise bhool jau :

तेरे रंग में कुछ इस तरह रंग जाऊँ।
मगर हर रंग तेरा है इसे कैसे भूल जाऊँ।

ये जो तेरे बदन की खुशबू है इसे कैसे भूल जाऊँ।
कली खिलने के बाद फूल बनती है इसे कैसे भूल जाऊँ।

तू बेशक मजबूर है ये अच्छे से जानता हूँ मैं।
लेकिन तुझे प्यार करता हूँ इसे कैसे भूल जाऊँ।

तुझे मुश्किलों में कैसे तन्हा छोड़ दूँ।
तुझसे कुछ वादे किए थे इसे कैसे भूल जाऊँ।

तू दूर है तो दूर ही सही।
मगर कभी नजदीक थी मेरे इसे कैसे भूल जाऊँ।

एक मुद्दत से खफा हूँ तुझसे।
कभी तू शिद्दत से मनाती थी इसे कैसे भूल जाऊँ।

मेरे लिए आज वक्त नहीं है तेरे पास।
कभी हर वक्त मेरा था इसे कैसे भूल जाऊँ।

मेरे बदन पर कुछ निशान बाकी हैं।
कभी तू मेरी बाहों में थी इसे कैसे भूल जाऊँ।

भूल जाऊँगा एक दिन बेशक जमाने को।
मगर मेरी दुनिया तुझसे है इसे कैसे भूल जाऊँ।

सुना है मरने वाले को भुला देते हैं लोग एक दिन।
मगर मैं अभी जिंदा हूँ इसे कैसे भूल जाऊँ।

- ललित कुमार गौतम