ऊर्जा संरक्षण दिवस पर हिंदी में निबंध
प्रस्तावना :
भारत एक विकासशील देश है और आज के इस आधुनिक युग में मानव की प्रगति और विकास, 'ऊर्जा संसाधनों' के बिना संभव नहीं है। क्या हम अपना एक भी दिन, ऊर्जा या ऊर्जा संसाधनों जैसे - विद्युत उपकरण, वाहन में उपयोग होने वाले ईंधन अथवा खाना बनाने के लिए प्रयुक्त होने वाले ईंधन के बिना बिता सकते हैं? यह सवाल सभी मानवों के लिए एक जटिल सवाल है क्योंकि इस धरती पर मौजूद ऊर्जा के प्रकृतिक संसाधन जो कि एक सीमित मात्रा में ही हमारे पास मौजूद है वह एक ना एक दिन खत्म हो जाएंगे और हमारा भविष्य का विकास इन ऊर्जा संसाधनों के बगैर छिन्न-भिन्न हो जाएगा इसलिए हमें ऊर्जा के अन्य स्रोत को अपनाने अथवा ऊर्जा की बचत की आवश्यकता होगी।
ऊर्जा संरक्षण का अर्थ :
ऊर्जा संरक्षण का शाब्दिक अर्थ ऊर्जा की बचत करना। आज के इस आधुनिक और विकासशील युग में हमें ऊर्जा की जितनी आवश्यकता है उतनी ही अवश्यकता है ऊर्जा सरंक्षण की। हम जहां कम दूरी पर स्थित अपने कार्यालयों, फैक्ट्रियों में जाने के लिए बड़ी- बड़ी कार का उपयोग कर रहे हैं इसकी जगह हम साइकिल का उपयोग करके काफी ईंधन को बचा सकते हैं।
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ऊर्जा संरक्षण का नियम -
इस नियम के अनुसार - "ऊर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है इसे ही ऊर्जा संरक्षण का नियम कहते हैं।" इस नियम को सर्वप्रथम जूलियस रोबर्ट मेयर ने 1841 में दिया था इन्हें ऊर्जा संरक्षण का जनक भी कहा जाता है।
ऊर्जा संरक्षण दिवस :
ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता के विषय में जन-जन को जागरूक करने के लिए 1991 से प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। ऊर्जा संरक्षण पर भारत सरकार द्वारा सन 2001 में एक अधिनियम भी लागू किया गया है जिसका नाम ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 है। इस अधिनियम का उद्देश्य ऊर्जा के उपलब्ध संसाधनों को विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना अथवा वैकल्पिक तरीकों से ऊर्जा की खपत को कम करने हेतु जन जन को जागरूक करना है।
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ऊर्जा संरक्षण का महत्व या उपयोगिताएं :
जिस प्रकार आधुनिक युग में ऊर्जा का अत्याधिक मात्रा में उपयोग हो रहा है इस तरह हमारे पास उपलब्ध गैर- नवीकरण ऊर्जा संसाधन खत्म हो जाएंगे जिसके कारण गाड़ियां, कारखानों में चलने वाली बड़ी-बड़ी मशीनें इत्यादि कम अथवा बंद हो जाएंगी। इसलिए नवीकरण संसाधन जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा इत्यादि का महत्व और उपयोगिता बढ़ जाएगी।
ऊर्जा संरक्षण के महत्व एवं उपयोगिता को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है।
- यदि वर्तमान समय में हम ऊर्जा संरक्षण अथवा ऊर्जा के अति दोहन को कम कर दिया जाए तो भविष्य में हमारे पास ऊर्जा के पर्याप्त साधन होंगे जिससे कि आने वाली पीढ़ी को ऊर्जा संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा उत्पन्न बिजली को संरक्षित नहीं किया जा सकता है इसलिए ऊर्जा संरक्षण का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
उपसंहार/ निष्कर्ष
वर्तमान समय में औद्योगिक विकास और आर्थिक विकास हेतु आवश्यक, ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखकर हमें अभी से ऊर्जा के प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण करना होगा अन्यथा एक समय ऐसा आएगा कि हम इस विकास की भाग दौड़ में ऊर्जा के इन प्राकृतिक संसाधनों को पूर्णता खो देंगे इसलिए हमें आज से ही ऊर्जा के इन पारंपरिक संसाधनों का उपयोग कम से कम करके, उर्जा को संरक्षित करना होगा ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी को ऊर्जा से संबंधित समस्याओं का सामना न करना पड़े।
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